भारतीय ज्योतिष शास्त्र में केतु एक छाया ग्रह माना गया है, जो व्यक्ति के जीवन में रहस्यमयी घटनाओं, आध्यात्मिकता और कर्मफल का प्रतीक है। जब जन्म कुंडली में केतु शुभ स्थिति में होता है तो यह व्यक्ति को अद्भुत अंतर्ज्ञान, सफलता और मोक्ष का मार्ग देता है। वहीं, अशुभ स्थिति में यह तनाव, भ्रम और अचानक आने वाली कठिनाइयों का कारण बनता है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे केतु के लक्षण और उपाय, साथ ही जानेंगे कि इसे हस्तरेखा शास्त्र, ज्योतिष और अंकशास्त्र से कैसे समझा जा सकता है।
हस्तरेखा शास्त्र (Hasta Rekha Shastra) में केतु के लक्षण और उपाय
माईरत्ना के हस्तरेखा शास्त्रियों (Palmists) के अनुसार, हथेली की रेखाएँ और पर्वत व्यक्ति के ग्रहों के प्रभाव को दर्शाते हैं।
- यदि व्यक्ति की हथेली में जीवन रेखा टूटी-फूटी हो, बार-बार कटती दिखाई दे, तो यह केतु के अशुभ प्रभाव का संकेत है।
- हथेली पर छोटे-छोटे क्रॉस चिन्ह या बिना कारण उभरे हुए धब्बे भी केतु की अशुभता को दर्शाते हैं।
- शुभ स्थिति में हथेली की रेखाएँ स्पष्ट, गहरी और बिना टूटे होती हैं, जिससे व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
हस्तरेखा शास्त्र में बताए गए इन लक्षणों से, यह समझा जा सकता है कि कब किसी व्यक्ति के जीवन में केतु ग्रह पीड़ित हो सकता है और उसे विशेष केतु के उपाय करने की आवश्यकता है।
अशुभ स्थिति में योग्य हस्तरेखा शास्त्रियों की सलाह से लहसुनिया रत्न (Cats Eye Stone) धारण करना लाभकारी होता है।
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ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में केतु के लक्षण और उपाय
माईरत्ना के ज्योतिषाचार्यों (Astrologers) के अनुसार, जन्म कुंडली में केतु की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है।
- यदि केतु चौथे, पाँचवें, आठवें या बारहवें भाव में अशुभ हो, तो यह पारिवारिक तनाव, मानसिक चिंता और स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकता है।
- शुभ स्थिति में केतु व्यक्ति को विद्या, शोध, ज्योतिषीय ज्ञान और मोक्ष मार्ग में सफलता प्रदान करता है।
- अशुभ केतु के लक्षणों में बार-बार असफल होना, भ्रम की स्थिति, रिश्तों में दूरी और अचानक दुर्घटनाएँ शामिल हो सकती हैं।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, अशुभ स्थिति में निम्न केतु के उपाय (Ketu ke Upay) लाभकारी माने जाते हैं:
- हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करना।
- कुत्ते को भोजन कराना और गौ सेवा करना।
- घर में केतु यंत्र की स्थापना और उसकी नियमित पूजा करना।
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अंकशास्त्र (Numerology) में केतु के लक्षण और उपाय
माईरत्ना के अंकशास्त्रियों (Numerolgoists) के अनुसार, अंकशास्त्र में हर अंक एक ग्रह से जुड़ा हुआ है और केतु का संबंध विशेष रूप से अंक 7 से माना जाता है।
- जिन लोगों की जन्मतिथि का योग 7 बनता है (जैसे 7, 16, 25), उन पर केतु का गहरा प्रभाव देखा जाता है।
- ये लोग अक्सर रहस्यमयी, अंतर्ज्ञानी और शोधप्रिय होते हैं, लेकिन कभी-कभी एकाकीपन और असुरक्षा भी महसूस करते हैं।
- शुभ केतु इन लोगों को आध्यात्मिकता और सफलता देता है, जबकि अशुभ स्थिति में जीवन में अव्यवस्था और भ्रम पैदा करता है।
अंकशास्त्रियों के अनुसार, अशुभ प्रभाव कम करने के लिए निम्न उपाय करें:
- अपने जीवन में नियमितता और अनुशासन बनाए रखें।
- ध्यान और योग का अभ्यास करें।
- अपने अंक (7) से जुड़े शुभ रत्न वैदुर्यम (Vaiduryam Stone/ వైడూర్యం రాయి) को धारण करें।
केतु के उपाय किस दिन करें?
केतु से जुड़े उपाय करने के लिए मंगलवार और शनिवार को सबसे शुभ माना जाता है:
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- केतु मंत्र “ॐ कें केतवे नमः” का 108 बार जाप करें।
- जरूरतमंदों को कंबल, तिल या नीले रंग के वस्त्र दान करें।
केतु के लाभ (जब केतु शुभ हो)
शुभ स्थिति में केतु निम्न लाभ प्रदान करता है:
- गहन ज्ञान और शोध में सफलता।
- ज्योतिष, तंत्र-मंत्र और अध्यात्म में प्रगति।
- अचानक धन लाभ और प्रतिष्ठा।
- मानसिक शांति और मोक्ष का मार्ग।
निष्कर्ष
केतु के लक्षण और उपाय को समझना हर उस व्यक्ति के लिए आवश्यक है जिसकी कुंडली में केतु ग्रह की स्थिति अशुभ हो। माईरत्ना के हस्तरेखा शास्त्रियों, अंकशास्त्रियों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, शुभ स्थिति में यह ग्रह जीवन में ज्ञान, अध्यात्म और सफलता लाता है, जबकि अशुभ स्थिति कठिनाइयाँ बढ़ा सकता है। इसलिए योग्य ज्योतिषाचार्य की सलाह से सही समय पर उचित उपाय करना बेहद ज़रूरी है।