भारतीय ज्योतिष में नीलम रत्न (Blue Sapphire) को बहुत शक्तिशाली माना जाता है। इसे सही तरीके से, सही व्यक्ति द्वारा और उचित समय पर ही धारण करना चाहिए। अगर आप भी सोच रहे हैं कि नीलम किसे पहनना चाहिए, कब पहनें, किस धातु में पहनें या किन राशियों के लिए यह लाभकारी है, तो यह लेख आपके लिए ही है।
नीलम किस राशि को पहनना चाहिए?
नीलम रत्न (Blue Sapphire) मुख्य रूप से मकर (Capricorn) और कुंभ (Aquarius) राशि के लोगों के लिए सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि ये दोनों राशियाँ शनि ग्रह के प्रभाव में आती हैं और नीलम शनि का रत्न है। इनके अलावा, कुछ परिस्थितियों में वृषभ (Taurus), मिथुन (Gemini), कन्या (Virgo) और तुला (Libra) राशि के लोग भी नीलम पहन सकते हैं, लेकिन इनके लिए यह अनिवार्य है कि वे पहले किसी अनुभवी और योग्य ज्योतिषी से सलाह लें। बिना सलाह के नीलम पहनना नुकसान भी पहुँचा सकता है, क्योंकि यह रत्न बहुत तेज असर करने वाला माना जाता है।
- अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह निर्बल, अशुभ या पीड़ित स्थिति में हो, तब नीलम पहनने से शनि की शक्ति बढ़ती है और जीवन में आ रही अड़चनें कम हो सकती हैं। खासकर जिन लोगों की कुंडली में शनि की महादशा, अंतर्दशा या साढ़े साती चल रही हो, उन्हें भी नीलम पहनने से लाभ मिल सकता है। लेकिन यह भी ज़रूरी है कि ऐसे लोग भी पहले कुंडली का गहराई से अध्ययन कराएँ और विशेषज्ञ की राय लें।
- कुछ विशेष कुंडली स्थितियों में मेष (Aries), कर्क (Cancer), सिंह (Leo) और वृश्चिक (Scorpio) राशि के लोगों को भी नीलम पहनने की सलाह दी जाती है। मगर इन राशियों के जातकों को विशेष सावधानी के साथ ही, सीमित कैरेट का नीलम पहनना चाहिए और पहनने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषी की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
- नीलम रत्न का असर तेज़ होता है, इसलिए गलत ढंग से या गलत व्यक्ति द्वारा पहना जाए तो यह नकारात्मक परिणाम भी दे सकता है। इसीलिए नीलम पहनने से पहले अपनी कुंडली किसी भरोसेमंद और अनुभवी ज्योतिषाचार्य को दिखाना बहुत ज़रूरी है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि नीलम आपके लिए सही है या नहीं।
- संक्षेप में, मकर और कुंभ राशि के लोग आम तौर पर नीलम रत्न आराम से पहन सकते हैं, लेकिन बाकी राशियों के लिए बिना ज्योतिषीय सलाह के नीलम पहनना ठीक नहीं माना जाता। सही व्यक्ति, सही समय और सही विधि से धारण किया गया नीलम रत्न जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
Know नीलम रत्न प्राइस
नीलम रत्न पहनने की विधि और महत्वपूर्ण बातें
नीलम रत्न को धारण करने से पहले इसे पंचधातु, चांदी या सोने की अंगूठी में जड़वाना चाहिए। इसे शनिवार के दिन, सूर्योदय के बाद स्नान करके शुद्ध करके पहनना शुभ माना जाता है। पहनने से पहले अंगूठी को गंगाजल और कच्चे दूध में डुबोकर शुद्ध करें और शनि देव के मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का 108 बार जाप करें।
नीलम धारण करने की पूरी विधि:
रत्न का चयन:
नीलम रत्न 7 से 8 रत्ती रत्ती का पहनना चाहिए – दोषरहित, पारदर्शी और चमकदार नीलम रत्न चुनें। प्रमाणित और असली नीलम खरीदें, ताकि उसका पूर्ण प्रभाव मिले।
धातु का चयन:
नीलम स्टोन किस धातु में पहनें? यह सवाल अक्सर मन में आता है। नीलम रत्न को सामान्यतः पंचधातु या चांदी की अंगूठी में जड़वाया जाता है। कुछ लोग इसे सोने में भी पहनते हैं, लेकिन इसे पहनने से पहले किसी योग्य और अनुभवी ज्योतिषी से सलाह ज़रूर लेनी चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति की कुंडली अलग होती है और उसी के अनुसार धातु का चयन करना उचित होता है।
शुद्धिकरण प्रक्रिया:
अंगूठी को गंगाजल और कच्चे दूध में कुछ समय के लिए डुबोकर रखें। शुद्धिकरण के समय शांत मन से शनि देव का ध्यान करें और “ॐ शं शनैश्चराय नमः” नीलम धारण करने का मंत्र का 108 बार जाप करें।
नीलम धारण करने का समय और सही दिन:
शनिवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। सूर्योदय के बाद से लेकर सूर्यास्त से पहले तक का समय उपयुक्त है।
धारण की दिशा:
अंगूठी पहनते समय मुख उत्तर दिशा की ओर रखें।
कौन सी उंगली में पहनें:
नीलम को दाहिने हाथ की मध्यमा (मिडिल) उंगली में पहनना श्रेष्ठ माना जाता है।
धारण करने के बाद:
नीलम पहनने के बाद शनि देव की पूजा करें और ज़रूरतमंदों को काले वस्त्र, तिल या लोहे से बने वस्तु का दान करें। इससे रत्न का प्रभाव और भी अच्छा माना जाता है।
नीलम रत्न पहनते समय क्या सावधानी रखें?
- नीलम धारण करने से पहले किसी योग्य और अनुभवी ज्योतिषी से सलाह ज़रूर लें, क्योंकि यह रत्न तेज़ असर करने वाला होता है और सबके लिए अनुकूल नहीं होता।
- नीलम के साथ माणिक्य (Ruby), मोती (Pearl) और मूंगा (Coral) जैसे रत्न नहीं पहनें, क्योंकि यह ज्योतिष अनुसार मेल नहीं खाते।
- नीलम पहनने के बाद मांस-मदिरा, तम्बाकू आदि का सेवन करने से बचें।
- रत्न को नियमित रूप से गंगाजल और सेंधा नमक के मिश्रण में रात भर रखकर शुद्ध और ऊर्जावान बनाए रखें।
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नीलम रत्न के उपरत्न: नीली (Neeli) और लीलिया (Liliya)
नीलम रत्न का सबसे लोकप्रिय उपरत्न नीली या लीलिया है। यह नीले रंग का होता है और इसके गुण भी नीलम के समान माने जाते हैं। अगर कोई व्यक्ति नीलम रत्न धारण करने में सक्षम नहीं है, तो नीली या लीलिया धारण कर सकता है। इससे भी शनि देव की कृपा प्राप्त हो सकती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस किए जा सकते हैं।
अन्य उपरत्न:
नीलम के कुछ अन्य उपरत्नों में जमुनिया, लाजवर्त (Lapis Lazuli), सोडालाइट और तंजनाइट शामिल हैं। ये सभी नीले रंग के रत्न हैं और शनि से जुड़े प्रभाव देने में सहायक माने जाते हैं।
उपयोग:
उपरत्न विशेष रूप से उन लोगों के लिए होते हैं, जो मुख्य रत्न धारण करने में कठिनाई महसूस करते हैं या जिनकी कुंडली में नीलम की तीव्र ऊर्जा को संभालना मुश्किल हो सकता है। नीली, लीलिया जैसे उपरत्न आर्थिक दृष्टि से भी सस्ते होते हैं, जिससे अधिक लोग इन्हें पहन सकते हैं।
धारण विधि:
लीलिया या नीली को भी नीलम की तरह ही पंचधातु या चांदी की अंगूठी में जड़वाकर धारण करना चाहिए। इसे शनिवार के दिन, विशेष रूप से दोपहर या सूर्योदय के बाद मध्यमा (मिडिल) अंगुली में पहनना शुभ माना जाता है। पहनने से पहले गंगाजल और कच्चे दूध से शुद्ध करें और “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
ज्योतिषीय सलाह:
मुख्य रत्न हो या उपरत्न धारण करने से पहले किसी योग्य और अनुभवी ज्योतिषी की सलाह अवश्य लें। यह सुनिश्चित करेगा कि रत्न आपकी राशि और ग्रह दशा के अनुसार लाभकारी सिद्ध हो
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नीलम रत्न कितने दिन में असर दिखाता है?
नीलम रत्न को तेज असर वाला रत्न माना जाता है। आमतौर पर यह 24 घंटे से लेकर 72 घंटे के भीतर अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर सकता है। कुछ विशेष मामलों में लोग कुछ ही सेकंड या मिनट में बदलाव महसूस करते हैं। वहीं, कुछ लोगों के लिए इसका असर धीरे-धीरे सामने आता है और इसके प्रभाव को महसूस करने में कुछ दिन, सप्ताह या कभी-कभी कुछ महीने भी लग सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि पहनने वाले की कुंडली, ग्रह दशा और व्यक्तिगत ऊर्जा कैसी है। इसलिए नीलम रत्न धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह लेना बहुत ज़रूरी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह आपके लिए शुभ और अनुकूल होगा।
निष्कर्ष
नीलम रत्न बहुत प्रभावशाली और तेज़ असर वाला रत्न है। इसे पहनने से पहले पूरी विधि, सही दिन, मंत्र और धातु का पालन करें। कुंडली में शनि की स्थिति देखकर ही निर्णय लें कि नीलम पहनना उचित है या नहीं।
अगर आप कुंभ राशि या मकर राशि के हैं, या कुंडली में शनि शुभ भाव में है, तो नीलम आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है।