रुद्राक्ष को हिंदू धर्म में भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है, उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ आते हैं। परंतु समस्या यह है कि आज के समय में बाज़ार में नकली रुद्राक्ष (फेक Rudraksha) भी बड़ी संख्या में मिलते हैं। ये नकली रुद्राक्ष प्लास्टिक, लकड़ी या नकली मोल्ड से बनाए जाते हैं, जिनका असली रुद्राक्ष से कोई संबंध नहीं होता। इसलिए असली और नकली रुद्राक्ष की पहचान करना बहुत ज़रूरी है।
आइए विस्तार से जानते हैं कि असली रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें और किन-किन तरीकों से इसकी शुद्धता को परखा जा सकता है।
रुद्राक्ष क्या है और क्यों खास है?
रुद्राक्ष वास्तव में “Elaeocarpus ganitrus” नामक पेड़ के बीज होते हैं। ये मुख्य रूप से नेपाल, इंडोनेशिया और भारत के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं। असली रुद्राक्ष की सतह पर प्राकृतिक रेखाएं और खांचे होते हैं, जिन्हें “मुखी” कहा जाता है। इन मुखियों की संख्या के आधार पर रुद्राक्ष का महत्व और प्रभाव तय होता है।
असली रुद्राक्ष की पहचान के मुख्य तरीके (Asli Rudraksh ki Pahchan ke Mukhya Tarike)
1. पानी में डुबोकर पहचान
असली रुद्राक्ष हमेशा भारी होता है और पानी में डालने पर डूब जाता है। दूसरी ओर, नकली रुद्राक्ष जो प्लास्टिक या हल्की लकड़ी से बने होते हैं, वे पानी में तैरेंगे।
ध्यान दें: कभी-कभी पुराने या सुखे हुए असली रुद्राक्ष भी कुछ समय तक पानी में तैर सकते हैं। इसलिए केवल पानी टेस्ट पर निर्भर न रहें।
2. रंग और सतह की जांच
असली रुद्राक्ष की सतह पर प्राकृतिक रेखाएं, खांचे और मुखी होते हैं। ये पूरी तरह एक जैसे नहीं होते, बल्कि असमान और खुरदरे होते हैं।
नकली रुद्राक्ष पर अक्सर पॉलिश या पेंट किया हुआ होता है जिससे उसका रंग एकदम एक जैसा दिखाई देता है।
असली रुद्राक्ष:
- सतह खुरदरी होगी
- मुखी स्पष्ट होंगे
- प्राकृतिक खांचे दिखेंगे
नकली रुद्राक्ष:
- चिकनी सतह
- कृत्रिम रंग या पॉलिश
- कभी-कभी प्लास्टिक जैसी चमक
3. उबलते पानी का टेस्ट
असली रुद्राक्ष को अगर कुछ घंटों तक उबलते पानी में डालें तो उसका रंग नहीं बदलेगा और उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
नकली रुद्राक्ष पर चढ़ी हुई पॉलिश या रंग उबलते पानी में उतरने लगेगा और उसका असली रूप सामने आ जाएगा।
4. खरोंच का टेस्ट
असली रुद्राक्ष को अगर हल्का-सा नुकीली वस्तु से खुरचा जाए तो उसमें से छोटे-छोटे रेशे (फाइबर) निकलते हैं।
नकली रुद्राक्ष पर खरोंच करने से कोई रेशा नहीं निकलेगा, बल्कि वह टूट-फूट सकता है या केवल सतही रंग निकल सकता है।
5. सरसों के तेल का टेस्ट
असली रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डुबोकर कुछ समय के लिए रखने पर उसका रंग और गहरा हो जाता है।
नकली रुद्राक्ष का रंग बिल्कुल वैसा ही रहेगा और उसमें कोई बदलाव नहीं आएगा।
6. मुखी (रेखाओं) की जांच
रुद्राक्ष की सबसे बड़ी पहचान उसके मुखी होते हैं। प्रत्येक रुद्राक्ष में 1 से 21 तक मुखी हो सकते हैं, और ये प्राकृतिक रूप से बने होते हैं।
नकली रुद्राक्ष में मुखी अक्सर गढ़े जाते हैं, जो एक जैसे, सीधे और कृत्रिम लगते हैं।
7. मैग्नीफाइंग ग्लास से जांच
अगर आपके पास लूप या मैग्नीफाइंग ग्लास है तो उससे रुद्राक्ष को ध्यान से देखें।
- असली रुद्राक्ष में प्राकृतिक दरारें और गहराई में रेखाएं साफ दिखाई देंगी।
- नकली रुद्राक्ष की सतह चिकनी या समान दिखेगी।
8. प्रयोगशाला टेस्ट
अगर आप पूरी तरह से निश्चिंत होना चाहते हैं तो किसी प्रमाणित जेमोलॉजी लैब (जैसे कि MyRatna या अन्य अधिकृत संस्थान) से इसकी जांच करवा सकते हैं।
लैब टेस्ट से यह पता चल जाएगा कि रुद्राक्ष असली है या नकली।
9. विशेषज्ञ से सलाह
कभी-कभी आम व्यक्ति के लिए असली-नकली पहचानना मुश्किल होता है। इसलिए बेहतर है कि किसी अनुभवी पंडित, जौहरी या रुद्राक्ष विशेषज्ञ से इसकी जांच करवाएं।
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असली और नकली रुद्राक्ष में फर्क (Table to Identify real Rudraksha)
विशेषता | असली रुद्राक्ष | नकली रुद्राक्ष |
---|---|---|
वजन | भारी, पानी में डूबता है | हल्का, पानी में तैरता है |
सतह | खुरदरी, असमान रेखाएं | चिकनी, पॉलिश की हुई |
रंग | प्राकृतिक, हल्का भूरा या गहरा भूरा | अक्सर पेंट या चमकीला |
खरोंच | खरोंचने पर रेशे निकलते हैं | रेशा नहीं निकलता |
तेल टेस्ट | सरसों तेल में रंग गहरा हो जाता है | रंग वही रहता है |
गर्म पानी टेस्ट | रंग नहीं उतरता | पॉलिश उतर जाती है |
नकली रुद्राक्ष खरीदने के खतरे
नकली रुद्राक्ष पहनने से न तो आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं और न ही स्वास्थ्य पर कोई सकारात्मक असर पड़ता है। कई बार लोग गलत विश्वास में नकली रुद्राक्ष पहनकर धोखा खा जाते हैं।
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असली रुद्राक्ष कहां से खरीदें?
- केवल प्रमाणित दुकानों या विश्वसनीय ब्रांड (जैसे MyRatna) से ही रुद्राक्ष खरीदें।
- हमेशा प्रमाणपत्र (Certificate of Authenticity) के साथ रुद्राक्ष लें।
- बहुत सस्ते दाम में मिलने वाले रुद्राक्ष पर भरोसा न करें।
निष्कर्ष
असली रुद्राक्ष की पहचान करना हर व्यक्ति के लिए ज़रूरी है ताकि वह नकली सामान खरीदकर धोखा न खाए। पानी टेस्ट, खरोंच टेस्ट, तेल टेस्ट, और सतह की जांच जैसे तरीके घर पर आसानी से किए जा सकते हैं। अगर फिर भी संदेह हो तो विशेषज्ञ या लैब टेस्ट ही सबसे भरोसेमंद उपाय है।
असली रुद्राक्ष न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह मानसिक शांति, स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा देने वाला भी माना जाता है। इसलिए हमेशा सावधानी बरतें और केवल असली, प्रमाणित रुद्राक्ष ही धारण करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. कैसे पता करें कि रुद्राक्ष असली है?
असली रुद्राक्ष की पहचान करने के लिए सबसे सरल तरीका है इसे पानी में डालना। असली रुद्राक्ष भारी होता है और पानी में डूब जाता है, जबकि नकली रुद्राक्ष अक्सर तैरता है। इसके अलावा, आप खरोंच का टेस्ट भी कर सकते हैं। नुकीली वस्तु से खुरचने पर असली रुद्राक्ष से रेशे (फाइबर) निकलते हैं, जबकि नकली रुद्राक्ष में ऐसा नहीं होता।
2. असली रुद्राक्ष की कीमत क्या है?
असली रुद्राक्ष की कीमत उसके प्रकार, मुखियों की संख्या, उत्पत्ति और आकार पर निर्भर करती है। सामान्यत: पंचमुखी रुद्राक्ष की कीमत 4000-5000 रुपये से शुरू हो सकती है। वहीं, दुर्लभ मुखी वाले रुद्राक्ष (जैसे 1 मुखी, 14 मुखी, 21 मुखी) लाखों रुपये तक के हो सकते हैं।
3. असली पंचमुखी रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें?
असली पंचमुखी रुद्राक्ष को पहचानने के लिए आप निम्नलिखित टेस्ट कर सकते हैं:
- पानी टेस्ट: असली पंचमुखी रुद्राक्ष पानी में डालने पर डूब जाएगा।
- सतह जांच: इसकी सतह खुरदरी होगी और उस पर प्राकृतिक खांचे होंगे।
- खरोंच टेस्ट: सुई से खुरचने पर रेशे निकलेंगे।
- उबलते पानी का टेस्ट: उबलते पानी में डालने पर इसका रंग नहीं बदलेगा और न ही कोई पॉलिश निकलेगी।
4. क्या सभी असली रुद्राक्ष पानी में डूबते हैं?
आमतौर पर हाँ, असली रुद्राक्ष पानी में डूबते हैं। लेकिन यदि रुद्राक्ष बहुत पुराना, हल्का या अंदर से सुखा हुआ हो तो वह तैर भी सकता है। इसलिए केवल पानी टेस्ट पर निर्भर न रहें। अन्य टेस्ट (जैसे खरोंच टेस्ट, तेल टेस्ट और लैब टेस्ट) भी साथ में करना चाहिए।
5. क्या नकली रुद्राक्ष पहनने से नुकसान होता है?
नकली रुद्राक्ष पहनने से कोई धार्मिक या आध्यात्मिक लाभ नहीं मिलता। यह केवल एक सजावटी वस्तु की तरह काम करेगा। सीधा शारीरिक नुकसान तो नहीं होता, लेकिन मानसिक रूप से इंसान को नुकसान होता है क्योंकि वह लाभ की उम्मीद करता है और उसे कुछ प्राप्त नहीं होता। इसके अलावा, धोखा खाने का दुःख अलग होता है।