जमुनिया रत्न, जिसे अंग्रेज़ी में Amethyst Gemstone कहा जाता है, भारतीय ज्योतिष में एक बेहद महत्वपूर्ण रत्न माना जाता है। यह रत्न मुख्य रूप से शनि ग्रह से संबंधित है और शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए धारण किया जाता है। जमुनिया रत्न का रंग बैंगनी या जामुनी होता है, जो देखने में बहुत आकर्षक लगता है। इसके साथ ही यह मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव के लिए भी जाना जाता है।
लेकिन सिर्फ रत्न खरीद लेना ही पर्याप्त नहीं है। सही विधि और नियमों का पालन करते हुए इसे धारण करना बेहद ज़रूरी है। आइए विस्तार से जानते हैं कि जमुनिया रत्न पहनने की सही विधि क्या है, किस धातु और किस उंगली में पहनना चाहिए, कितने रत्ती का पहनना चाहिए, और इसे पहनने से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण नियम।
जमुनिया रत्न पहनने का शुभ दिन और समय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिवार का दिन जमुनिया रत्न धारण करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
- शनिवार को शनि ग्रह का दिन कहा जाता है, और यह रत्न शनि से संबंधित है।
- आप चाहें तो इसे शनिवार की सुबह स्नान करके, शनि देव की पूजा करने के बाद पहन सकते हैं।
- कुछ ज्योतिषियों के अनुसार, शनिवार की संध्या के समय यानी सूर्यास्त के बाद या चंद्रमा के अस्त होने के समय इसे पहनना और भी शुभ माना जाता है।
जमुनिया रत्न पहनने की विधि
अब जानते हैं कि इस रत्न को धारण करने की विस्तृत विधि क्या है।
1. स्नान और शुद्धिकरण
शनिवार की सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर पूजा स्थल पर शनि देव की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
रत्न को पहनने से पहले इसका शुद्धिकरण करना बहुत ज़रूरी होता है।
- आप अंगूठी या लॉकेट को गंगाजल, कच्चे दूध, शहद और तुलसी के पत्तों वाले जल में कुछ समय के लिए डुबोकर रख सकते हैं।
- इससे रत्न पर जमी हुई अशुद्धियां और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है।
2. मंत्र जाप
शुद्धिकरण के बाद रत्न को सफेद कपड़े पर रखें और शनि देव का ध्यान करते हुए मंत्र जाप करें।
शनि मंत्र:
“ऊँ शं शनैश्चराय नमः“
इस मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। जाप के बाद रत्न को माथे से लगाकर प्रणाम करें।
3. धारण करने का नियम
- जमुनिया रत्न को चांदी या पंचधातु की अंगूठी या पेंडेंट में जड़वाना शुभ माना जाता है।
- इसे हमेशा दाहिने हाथ की मध्यमा (मिडल) उंगली में पहनना चाहिए।
- यह उंगली शनि ग्रह से संबंधित मानी जाती है और शनि की सीधी ऊर्जा इसी उंगली से शरीर में प्रवेश करती है।
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जमुनिया रत्न कितने रत्ती का पहनना चाहिए?
नीलम (जमुनिया नाग) या अमेथिस्ट रत्न के लिए सही रत्ती का चयन व्यक्ति के वजन पर आधारित होता है। सामान्य नियम यह है कि हर 12 किलो वजन पर लगभग 1 रत्ती रत्न पहना जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि किसी का वजन 60 किलो है तो उसे लगभग 5 रत्ती का जमुनिया रत्न धारण करना चाहिए।
जमुनिया रत्न किस धातु में पहनें?
जमुनिया (Amethyst) रत्न को चांदी या पंचधातु में धारण करना शुभ माना जाता है। इसे शनिवार की शाम को पहनना सबसे अच्छा समय होता है। धारण करने से पहले रत्न को गंगाजल, दूध और शहद से शुद्ध करना आवश्यक है। पुरुष और महिलाएं दोनों इसे पहन सकते हैं।
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जमुनिया रत्न किस उंगली में पहनें?
इस रत्न को दाहिने हाथ की मध्यमा (मिडिल फिंगर) में पहनना सबसे सही माना जाता है। मध्यमा उंगली शनि ग्रह से जुड़ी होती है और चूँकि जमुनिया रत्न शनि से संबंधित है, इसलिए यह शनि की ऊर्जा को मजबूत करने और जीवन से नकारात्मकता को दूर करने में मदद करता है।
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निष्कर्ष
जमुनिया रत्न सिर्फ एक सुंदर पत्थर नहीं है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मकता और मानसिक शांति लाने वाला एक शक्तिशाली रत्न है। इसे पहनने से पहले इसकी सही विधि, सही धातु, और सही उंगली का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। साथ ही, हमेशा प्रमाणित (Certified) और प्राकृतिक (Natural) रत्न ही खरीदें ताकि इसका पूरा लाभ प्राप्त हो सके।