लहसुनिया रत्न कब पहने? | लहसुनिया किस दिन पहने?

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लहसुनिया रत्न (Cat’s Eye Stone / कैट्स आई) केतु ग्रह से सम्बद्ध एक शक्तिशाली रत्न है। बहुत से लोग यही जानना चाहते हैं – लहसुनिया रत्न कब पहने और लहसुनिया किस दिन पहने ताकि इसका अधिकतम लाभ मिल सके और अनचाहे प्रभावों से बचा जा सके। इस लेख में हम सरल भाषा में पूरी प्रक्रिया, शुभ दिन-समय और वैज्ञानिक नहीं बल्कि पारंपरिक ज्योतिषीय कारणों के साथ समझाएंगे।


लहसुनिया रत्न का महत्व

लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna) अपनी विशेष चमक और ऊर्जा के कारण जीवन में सुरक्षा, मानसिक स्थिरता और अचानक होने वाली हानियों से बचाव देने वाला माना जाता है। विशेषकर उन लोगों के लिए यह उपयोगी है जिनके चारित्रिक और परिस्थितिजन्य प्रभाव के कारण केतु ग्रह द्वारा नुक्सान या अस्थिरता दिख रही हो।


लहसुनिया रत्न कब पहने?

लहसुनिया रत्न धारण करने का श्रेष्ठ समय शुक्ल पक्ष के शनिवार या मंगलवार को माना जाता है। यह परंपरागत निर्देश लंबे समय से प्रचलित है और ज्योतिषशास्त्र में इन्हीं नियमों के अनुसार रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है।


लहसुनिया रत्न को शनिवार और मंगलवार को ही क्यों पहनें?

इसका मतलब तीन हिस्सों में समझा जा सकता है – केतु ग्रह का स्वभाव, सप्ताह के उन विशेष दिनों का महत्व (शनिवार/मंगलवार) और शुक्ल-पक्ष की भूमिका:

1) केतु ग्रह का स्वभाव (क्यों केतु के प्रभाव को सही समय चाहिए)

केतु एक छाया ग्रह है – यह कर्म, रहस्य, अचानक घटनाएँ, आध्यात्मिकता और अलगाव से जुड़ा हुआ माना जाता है। केतु की अशुभ स्थिति जीवन में अनिश्चितता, दुर्घटनाएँ या मानसिक अस्थिरता ला सकती है। लहसुनिया (कैट्स आई) को केतु का शांतिप्रद रत्न माना जाता है; जब इसे ऐसे समय पर धारण किया जाए जब आकाशीय और पृथ्वी-ऊर्जा अनुकूल हों, तो रत्न और ग्रह की तरंगें सुसंगत हो जाती हैं और रत्न का लाभ अधिक स्पष्ट रूप से मिलता है। इसलिए सही दिन-समय का चुनाव आवश्यक है।

2) शनिवार और मंगलवार क्यों?

शनिवार – शनि और केतु दोनों ही कर्म और जीवन की कठिनाइयों से जुड़े ग्रह हैं। शनिवार का प्रभाव धैर्य, अनुशासन और दीर्घकालिक परिणामों को मजबूत करता है; इसलिए कई ज्योतिषी शनिवार को लहसुनिया रत्न (ketu stone) पहनने की सलाह देते हैं।

मंगलवार – मंगल साहस और सक्रियता देता है। केतु की अनिश्चितता और अचानक परिस्थितियों से निपटने के लिए साहस आवश्यक होता है; इस कारण मंगलवार पर पहनना भी परंपरागत रूप से लाभकारी माना जाता है।

नोट: यह वैज्ञानिक नहीं बल्कि पारंपरिक ज्योतिषीय मान्यताएँ हैं – अभ्यास में कई विशेषज्ञ शनिवार या मंगलवार में लहसुनिया पहनने की सलाह देते हैं।

3) शुक्ल पक्ष (Waxing Moon) का महत्व

शुक्ल पक्ष वह अवधि है जब चंद्रमा बढ़ रहा होता है और पूर्णिमा की ओर अग्रसर होता है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार शुक्ल पक्ष में ऊर्जा, वृद्धि और शुभता अधिक सक्रिय होती है। इसलिए शुक्ल पक्ष के दौरान रत्न धारण करने से उसके सकारात्मक प्रभावों की संभावना बढ़ जाती है। इसके विपरीत कृष्ण पक्ष या अमावस्या के समय ऊर्जा को कमज़ोर माना जाता है, अतः उस समय रत्न धारण करना कम प्रभावी माना जाता है।

Read Lahsuniya Ratna Benefits in Hindi


लहसुनिया रत्न पहनने की विधि

  1. सबसे पहले किसी योग्य ज्योतिषी या हस्तरेखा विशेषज्ञ से परामर्श लें कि यह रत्न आपकी कुंडली के लिए उपयुक्त है या नहीं।
  2. रत्न शुद्धि: एक दिन पहले गंगाजल या कच्चा दूध लेकर रत्न को शुद्ध करें।
  3. सुबह स्नान करके, स्वच्छ और साफ वस्त्र पहनकर ही रत्न धारण करें।
  4. पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और केतु मंत्र “ॐ कें केतवे नमः” का 108 बार जाप करें (यदि ज्योतिषी ने अलग निर्देश दिए हों तो उन्हें मानें)।
  5. लहसुनिया रत्न को आमतौर पर चाँदी या पंचधातु की अंगूठी (Cat’s Eye Stone Ring) में धारण किया जाता है – धातु का सही चयन ज्योतिषी बताएँगे।
लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna) पहनने की विधि

लहसुनिया कौन पहन सकता है? (हस्तरेखा अनुसार)

  • जिनकी भाग्य रेखा (Fate Line) केतु पर्वत से प्रारंभ होती है।
  • जिनकी हथेली में जीवन रेखा (Life Line) के पास टूटी या अस्थिर शाखाएँ दिखाई देती हों।
  • जिनकी रेखाओं में बार-बार अचानक टूट-फूट या अस्पष्टता पाई जाती हो।
  • जिनके जीवन में बार-बार अनपेक्षित उतार-चढ़ाव या अस्थिरता बनी रहती हो।
  • जिनकी कुंडली या हथेली में केतु पर्वत सक्रिय दिखाई देता हो।

ध्यान रखें कि लहसुनिया रत्न (Cat’s Eye Stone) केवल रत्न की अंगूठी तक सीमित नहीं है। इसे आप अपनी सुविधा और पसंद के अनुसार रिंग(Ring), पेंडेंट(Pendant) या Cat’s Eye Bracelet के रूप में भी धारण कर सकते हैं। यह न केवल फैशनेबल दिखता है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी उतना ही प्रभावी रहता है।


सावधानियाँ

  • लहसुनिया हर किसी के लिए नहीं होता – बिना परामर्श के इसे पहनना हानिकारक हो सकता है।
  • केवल प्राकृतिक और प्रमाणित लहसुनिया ही खरीदें; नक्कली पत्थर से हानि हो सकती है।
  • यदि पहनने के बाद बेचैनी, अनिद्रा या असामान्य घटनाएँ दिखें, तो तुरंत रत्न उतारकर विशेषज्ञ से परामर्श करें।

निष्कर्ष

यदि आप पूछ रहे हैं – लहसुनिया रत्न कब पहने? – तो सम्मोहक उत्तर यह है: शुक्ल पक्ष के शनिवार या मंगलवार को धारण करना श्रेयस्कर माना जाता है। यही दिन इस रत्न के प्रभाव को अधिक अनुकूल बनाते हैं। हालांकि, प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली तथा परिस्थिति अलग होती है, अतः किसी योग्य ज्योतिषी से व्यक्तिगत सलाह लेना अनिवार्य है।

अधिक जानकारी और फ्री जेम रिकमंडेशन के लिए हमारी फ्री रत्न अनुशंसा पेज पर जाएं; जन्म विवरण भरकर निःशुल्क रत्न रिपोर्ट प्राप्त करें या 1-1 परामर्श के लिए हमसे संपर्क करें।

रत्नों की विस्तृत व विश्वसनीय जानकारी के लिए हमारे टॉप रैंक्ड हिंदी ब्लॉग्स पढ़ें।

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Harsha Bhati (Articles: 26)

Harsha Bhati is one of the well-known palmists in India. She has been practicing palmistry for more than 7 years and has guided many people in understanding their life, career, and relationships. She holds a Diploma and a Master’s degree in Palmistry and is also doing her Ph.D. in the same subject.

Harsha also has knowledge of the Veds, which helps her give a deeper and more spiritual meaning to her readings. For the last 3 years, she has been teaching palmistry through her online school, where students from different places learn from her in a very simple and easy way.

She believes palmistry is not just about predicting the future, but about helping people know themselves better and grow in life. With her knowledge and kind approach, Harsha continues to inspire and guide many on their journey.

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