भारतवर्ष में नवरात्रि का पर्व केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का उत्सव है। यह पर्व वर्ष में दो बार – चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि – विशेष रूप से मनाया जाता है। इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। हर दिन का एक विशेष रंग, भोग, देवी का स्वरूप, ग्रह और रत्न निर्धारित है।
मान्यता है कि नवरात्रिa के नौ दिनों का सही तरीके से पालन करने पर व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सौभाग्य, धन, स्वास्थ्य, ज्ञान और शक्ति आती है।
नवरात्रि में क्यों महत्वपूर्ण हैं 9 रत्न?
हिंदू ज्योतिष में नवरत्न (9 Gemstones) का संबंध नवग्रहों से माना गया है। इन रत्नों को धारण करने से ग्रह दोष शांत होते हैं और जीवन में संतुलन आता है। नवरात्रि के हर दिन का एक ग्रह और उससे जुड़ा रत्न होता है। इसीलिए नवरात्रि का समय इन रत्नों की ऊर्जा से जुड़ने का सबसे शुभ अवसर माना जाता है।
Navratri ke Nav Rang, 9 Ratna, 9 Din, Aur 9 Bhog
दिन | देवी स्वरूप | रंग (colour) | भोग | संबंधित ग्रह | रत्न (Gemstone) | मंत्र |
---|---|---|---|---|---|---|
पहला दिन | माँ शैलपुत्री | सफेद | खीर, घी | चंद्रमा | मोती (Pearl) | ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥ |
दूसरा दिन | माँ ब्रह्मचारिणी | लाल | शक्कर, मिश्री | मंगल | मूंगा (Red Coral) | ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥ |
तीसरा दिन | माँ चंद्रघंटा | नीला | दूध से बनी मिठाइयाँ | शुक्र | हीरा (Diamond) | ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः॥ |
चौथा दिन | माँ कूष्मांडा | पीला | मालपुआ | सूर्य | माणिक (Ruby) | ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥ |
पाँचवाँ दिन | माँ स्कंदमाता | हरा | केले की बर्फी | बुध | पन्ना (Emerald) | ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥ |
छठा दिन | माँ कात्यायनी | भूरा | शहद | बृहस्पति | पुखराज (Yellow Sapphire) | ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥ |
सातवाँ दिन | माँ कालरात्रि | नारंगी | गुड़ का हलवा | शनि | नीलम (Blue Sapphire) | ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥ |
आठवाँ दिन | माँ महागौरी | पीकॉक ग्रीन | नारियल | राहु | गोमेद (Hessonite) | ॐ देवी महागौर्यै नमः॥ |
नौवाँ दिन | माँ सिद्धिदात्री | गुलाबी | हलवा-पूरी और चना | केतु | लहसुनिया (Cat’s Eye) | ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥ |
नवरात्रि के 9 दिन: रंग, भोग, देवी, ग्रह और रत्न
1. पहला दिन – माँ शैलपुत्री (प्रतिपदा)
रंग: सफेद – शुद्धता, संयम और मानसिक शांति का प्रतीक।
भोग: घी और खीर (या शुद्ध दूध से बनी चीजें)।
रत्न: मोती (Pearl) – चंद्र ग्रह से संबंधित।
ग्रह: चंद्र (Moon)
मंत्र: ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः
विस्तृत महत्व और पूजा-प्रथा
पहले दिन माँ शैलपुत्री का पूजन आत्म-नियमन और अध्यात्मिक आरम्भ का सूचक है। शैलपुत्री सादगी और स्थिरता का रूप हैं। इस दिन उपवास रखने वाले सुष्टु या फलाहारी खीर का प्रयोग करते हैं। मोती पहनने से भावनात्मक संतुलन मिलता है और चंद्र के शुभ प्रभाव से मन शांत रहता है।
प्रयोगिक सुझाव
- सुबह स्नान के बाद सफेद वस्त्र पहनकर पूजा करें।
- खीर या दूध से बनी मिठाई, फूल और दीप अर्पित करें।
- रात में चंद्र-सम्बन्धी मंत्र जाप करने से चंद्र की शांति मिलती है।
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2. दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी (द्वितीया)
रंग: लाल – साहस, शक्ति और तप का संकेत।
भोग: शक्कर / मिश्री (मिठास का भोग)।
रत्न: मूंगा (Red Coral) – मंगल ग्रह से संबंधित।
ग्रह: मंगल (Mars)
मंत्र: ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
विस्तृत महत्व और पूजा-प्रथा
ब्रह्मचारिणी तप और संयम की देवी हैं। इस दिन श्रद्धालु साधना व संयम का अभ्यास करते हैं। मूंगा पहनने से शारीरिक उर्जा और साहस बढ़ता है, विशेषकर उन जातकों के लिए जिनकी कुंडली में मंगल बलहीन है।
प्रयोगिक सुझाव
- लाल वस्त्र धारण कर मंत्र जाप करें और मिश्री/शक्कर का भोग दें।
- यदि मूंगा पहनने की इच्छा हो तो प्रमाणित पत्थर और ज्योतिषी से सलाह लें।
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3. तीसरा दिन – माँ चंद्रघंटा (तृतीया)
रंग: नीला / हल्का सुनहरा – शांति व शक्ति का सम्मिश्रण।
भोग: दूध और दूध से बनी मिठाइयाँ (खीर, रसगुल्ला आदि)।
रत्न: हीरा (Diamond) – शुक्र ग्रह से संबंधित।
ग्रह: शुक्र (Venus)
मंत्र: ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः
विस्तृत महत्व और पूजा-प्रथा
चंद्रघंटा का स्वरूप साहस और करुणा का मेल है। उनका पूजन भय निवारण और संकट मोचन के लिए होता है। हीरा विवाह, सौंदर्य और कलात्मक उन्नति के लिए शुभ माना जाता है।
प्रयोगिक सुझाव
- दूध से बनी चीजें भोग में रखें और नीले/सुनहरे शेड के वस्त्र पहनें।
- शुक्र प्रभाव चाहने वालों को प्रमाणित हीरे का परामर्श लेकर धारण करना चाहिए।
4. चौथा दिन – माँ कूष्मांडा (चतुर्थी)
रंग: पीला / नारंगी – सृजनात्मक ऊर्जा और उज्जवलता।
भोग: मालपुआ या अन्य फूले-फले मीठे व्यंजन।
रत्न: माणिक (Ruby) – सूर्य से संबंधित।
ग्रह: सूर्य (Sun)
मंत्र: ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः
विस्तृत महत्व और पूजा-प्रथा
कूष्मांडा सृष्टि के आरम्भ का रूप मानी जाती हैं। इस दिन नई ऊर्जा, सर्जनशीलता और स्वास्थ्य की कामना की जाती है। माणिक आत्मविश्वास और नेतृत्व गुणों को बढ़ाने वाला रत्न है।
प्रयोगिक सुझाव
- पीले रंग के वस्त्र पहनें, सूर्य से जुड़ा पूजन करें और मालपुआ का भोग रखें।
- माणिक धारण से पहले प्रमाण पत्र व ज्योतिषी की सलाह लेना उत्तम है।
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5. पाँचवाँ दिन – माँ स्कंदमाता (पंचमी)
रंग: हरा – उर्वरता, सन्तान और समृद्धि का प्रतीक।
भोग: केले की बर्फी, फल और खीर।
रत्न: पन्ना (Emerald) – बुध ग्रह से संबंधित।
ग्रह: बुध (Mercury)
मंत्र: ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः
विस्तृत महत्व और पूजा-प्रथा
स्कंदमाता को मां के स्नेह और पालनहार रूप के रूप में पूजा जाता है। उनका आशीर्वाद संतान सुख और पारिवारिक समृद्धि देता है। पन्ना बुद्धि, संवाद क्षमता व शिक्षा के लिए अत्यंत लाभदायक है।
प्रयोगिक सुझाव
- हरा रंग अपनाएँ, केले/फल का भोग रखें तथा पन्ना खरीदने पर लैब रिपोर्ट देखें।
- बुध कमजोर होने पर पन्ना पहनने से पहले ज्योतिष से परामर्श अवश्य लें।
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6. छठा दिन – माँ कात्यायनी (षष्ठी)
रंग: पीला / भूरा – स्थिरता व भौतिक समर्थन का संकेत।
भोग: शहद या मधुर पदार्थ (सात्विक)।
रत्न: पुखराज (Yellow Sapphire) – बृहस्पति से संबंधित।
ग्रह: बृहस्पति (Jupiter)
मंत्र: ॐ देवी कात्यायन्यै नमः
विस्तृत महत्व और पूजा-प्रथा
कात्यायनी शक्तिशाली रूप है जो नकारात्मक बंधनों को तोड़ती है। पुखराज ज्ञान, वैवाहिक सुख और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला रत्न माना जाता है।
प्रयोगिक सुझाव
- पुखराज खरीदे तो सत्यापित स्रोत और सर्टिफिकेट लें; बृहस्पति की स्थिति देखकर ज्योतिषी से सलाह लें।
- शहद-आधारित भोग स्वस्तिक और सात्विक रखें।
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7. सातवाँ दिन – माँ कालरात्रि (सप्तमी)
रंग: नारंगी / गहरा – संघर्षोपरांत उजाला लाने वाला रंग।
भोग: गुड़ का हलवा या गुड़ आधारित पदार्थ।
रत्न: नीलम (Blue Sapphire) – शनि से संबंधित।
ग्रह: शनि (Saturn)
मंत्र: ॐ देवी कालरात्र्यै नमः
विस्तृत महत्व और पूजा-प्रथा
कालरात्रि अज्ञान और भय का नाश करने वाली देवी हैं। नीलम पहनने से जीवन में अनुशासन, कर्मठता और दीर्घकालिक सुरक्षा मिलती है। शनि के प्रभाव से संबंधित समस्याओं में नीलम लाभकर हो सकता है, किन्तु इसे पहनने से पहले विशेषज्ञ की सलाह बहुत जरूरी है।
प्रयोगिक सुझाव
- नीलम बेहद प्रभावी लेकिन संवेदनशील रत्न है – प्रमाणिकता व ग्रहस्थिति जांचें।
- गुड़ से बना हलवा भोग में रखें और शनि के लिए साधना करें।
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8. आठवाँ दिन – माँ महागौरी (अष्टमी)
रंग: पीकॉक ग्रीन / हल्का हरा – शुद्धता तथा उत्थान का संकेत।
भोग: नारियल (कच्चा/भुना) और उससे बने व्यंजन।
रत्न: गोमेद (Gomed Gemstone) – राहु से संबंधित।
ग्रह: राहु (Rahu)
मंत्र: ॐ देवी महागौर्यै नमः
विस्तृत महत्व और पूजा-प्रथा
महागौरी शुद्धता और कल्याण का रूप हैं। राहु की अशुभता से प्रभावित जातकों के लिए गोमেদ (हैसोनाइट) उपयोगी माना जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सफलता दिलाने में सहायक होता है।प्रयोगिक सुझाव
- नारियल अर्पित कर महागौरी का पूजन करें।
- गोमेद पहनने से पहले राहु की स्थिति की पुष्टि कराएँ।
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9. नौवाँ दिन – माँ सिद्धिदात्री (नवमी)
रंग: गुलाबी / बैंगनी – आध्यात्मिक उन्नति एवं सिद्धि का संकेत।
भोग: हलवा, पूरी और चना (विविध संकल्पानुसार)।
रत्न: लहसुनिया (Cat’s Eye) – केतु ग्रह से संबंधित।
ग्रह: केतु (Ketu)
मंत्र: ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः
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नवरात्रि के 9 दिन का भोग list – (Navratri Bhog for 9 Days in Hindi)
दिन | देवी | मुख्य भोग | वैकल्पिक भोग | तैयारी/अर्पण टिप |
---|---|---|---|---|
पहला दिन | माँ शैलपुत्री | गाय का घी | घी से बनी सफेद मिठाई या हलवा | घी शुद्ध हो और सात्विक; दीप व धूप के साथ अर्पित करें। |
दूसरा दिन | माँ ब्रह्मचारिणी | चीनी / मिश्री, पंचामृत | शक्कर से बनी लड्डू या मिश्री के टुकड़े | पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, मिश्री) शुद्ध मिश्रण से दें। |
तीसरा दिन | माँ चंद्रघंटा | दूध या दूध से बनी मिठाई (खीर, बर्फी) | रसमलाई, रसगुल्ला या दूध-आधारित हलवा | दूध ताजा और उबालकर ठंडा करके अर्पित करें; फूल व दीप रखें। |
चौथा दिन | माँ कूष्मांडा | मालपुआ | हलवा, सूजी/ग्लूटेन-फ्री विकल्प (जो परंपरा अनुसार स्वीकार्य हो) | मालपुआ नरम और घी में तला हुआ रखें; थोड़ी चाशनी लगाकर दें। |
पाँचवाँ दिन | माँ स्कंदमाता | केला | मौसमी फल (आम, सेब, नाशपाती आदि) | केले ताजे और साफ़ धोकर ही अर्पित करें; फल थाली में सजाएँ। |
छठा दिन | माँ कात्यायनी | शहद | शहद से बनी मिठाई या मधुर पान | शहद शुद्ध और अनेको नहीं; छोटा भोग कटोरा रखें और मंत्र जाप करें। |
सातवाँ दिन | माँ कालरात्रि | गुड़ | गुड़ से बनी मिठाई (गुड़ हलवा) या गुड़-बादाम लड्डू | गुड़ शुद्ध रखें; गुड़ का हलवा गरम-गरम अर्पित करें। |
आठवाँ दिन | माँ महागौरी | नारियल | नारियल से बनी मिठाई, नारियल के टुकड़े, नरियल पानी | नारियल साबुत रखें; पूजन के बाद प्रसाद के रूप में वितरित कर सकते हैं। |
नौवाँ दिन | माँ सिद्धिदात्री | हलवा, पूरी और चना | खीर, तिल या अन्य पारंपरिक मिठाई | सम्पूर्ण भोग संतुलित और सात्विक रखें; भोग के बाद अभिषेक/प्रसाद वितरित करें। |
नवरात्रि और रत्न धारण का महत्व
नवरात्रि में रत्न धारण करना केवल फैशन या परंपरा नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व से जुड़ा हुआ है।
- मोती से मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन आता है।
- मूंगा से साहस और ऊर्जा मिलती है।
- हीरा रिश्तों और रचनात्मकता को मजबूत करता है।
- माणिक से आत्मविश्वास और सफलता प्राप्त होती है।
- पन्ना बुद्धि और संचार कौशल को प्रबल करता है।
- पुखराज ज्ञान और समृद्धि देता है।
- नीलम से एकाग्रता और अनुशासन आता है।
- गोमेद नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
- लहसुनिया आध्यात्मिक उन्नति और सुरक्षा प्रदान करता है।
निष्कर्ष
नवरात्रि केवल उपवास और पूजा का समय नहीं है, बल्कि यह जीवन में ऊर्जा, सकारात्मकता और दिव्यता को आमंत्रित करने का अवसर है। नौ दिनों में देवी के नौ रूपों की पूजा करके, उनके रंग, भोग और संबंधित रत्नों को अपनाने से व्यक्ति अपने जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त कर सकता है।
नवरात्रि के इन 9 रत्नों को धारण करने से ग्रह दोष शांत होते हैं और देवी माँ की कृपा प्राप्त होती है। यदि आप भी इस नवरात्रि अपने जीवन को नई ऊर्जा और शक्ति से भरना चाहते हैं, तो पूजा-पाठ के साथ-साथ अपने राशि अनुसार रत्न अवश्य धारण करें।